Wednesday, October 31, 2007

दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो

din ek sitam, ek sitam raat karo ho

दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो
वो दोस्त हो दुश्मन को भी तुम मात करो हो

हम खाक-नशीं, तुम सुखन-आरा-ए-सर-ए-बाम
पास आ के मिलो, दूर से क्या बात करोहो

हमको जो मिला है, वो तुम्हीं से तो मिला है
हम और भुला दें तुम्हें, क्या बात करो हो !

दामन पे कोई छींट, ना खंजर पे कोई दाग
तुम कत्ल करो हो के करामात करो हो

बकने भी दो अजीज़ को, जो बोले है सो बके है
दीवाना है, दीवाने से क्या बात करो हो

कलीम अजीज़

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