Tuesday, October 9, 2007

गाहे गाहे बस अब यही हो क्या

gaahe gaahe bas ab yahi ho kya

गाहे गाहे बस अब यही हो क्या
तुमसे मिलकर बहुत खुशी हो क्या

मिल रही हो बड़े तपाक के साथ
मुझके यक्सर बुला चुकी हो क्या

याद है अब भी अपने ख़्वाब तुम्हें
मुझे मिलकर उदास भी हो क्या

बस मुझे यूँही एक ख़याल आया
सोचती हो तो सोचती हो क्या

अब मेरी कोई ज़िन्दगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िन्दगी हो क्या

क्या कहा, इश्क जाविदानी है
आखिरी बार मिल रही हो क्या

हाँ, फजा याँ कि सोयी सोयी सी है
तो बहुत तेज रोशनी हो क्या

मेरे सब तंज बे-असर ही रहे
तुम बहुत दूर जा चुकी हो क्या

दिल में अब सोज़-ए-इन्तज़ार नहीं
शम-ए-उम्मीद ! बुझ गयी हो क्या

जौं एलिया

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