Wednesday, October 10, 2007

अलीगढ़ तराना

Aligarh Tarana

ये मेरा चमन है मेरा चमन, मैं अपने चमन का बुलबुल हूँ
सरशार-ए-निगाह-ए-नरगिस हूँ, पा-बस्ता-ए-गेसू-संबल हूँ

ये मेरा चमन है मेरा चमन, मैं अपने चमन का बुलबुल हूँ

जो ताक-ए-हरम में रोशन है, वो शमा यहाँ भी जलती है
इस दश्त के गोशे-गोशे से, एक जू-ए-हयात उबलती है
ये दश्त-ए-जुनूँ दीवानों का, ये बज़्म-ए-वफा परवानों की
ये शहर-ए-तरब रूमानों का, ये खुल्द-ए-बरीं अरमानों की
फितरत ने सिखाई है हम को, उफ्ताद यहाँ परवाज़ यहाँ
गाये हैं वफा के गीत यहाँ, चेहरा है जुनूँ का साज़ यहाँ

ये मेरा चमन है मेरा चमन, मैं अपने चमन का बुलबुल हूँ

इस बज़्म में तेघें खेंचीं हें, इस बज़्म में सघर तोड़े हैं
इस बज़्म में आँख बिछा'ई है, इस बज़्म में दिल तक जोड़े हैं
हर शाम है शाम-ए-मिस्र यहाँ, हर शब है शब-ए-शीरज़ यहाँ
है सारे जहाँ का सोज़ यहाँ और सारे जहाँ का साज़ यहाँ
ख़ुद आँख से हम ने देखी है, बातिल की शिकस्त-ए-फाश यहाँ

ये मेरा चमन है मेरा चमन, मैं अपने चमन का बुलबुल हूँ

जो अब्र यहाँ से उट्ठेगा, वो सारे जहाँ पर बरसेगा
हर जू-ए-रवाँ पर बरसेगा, हर कोह-ए-गराँ पर बरसेगा
हर सर्ग-ओ-समन पर बरसेगा, हर दश्त-ओ-दमन पर बरसेगा
ख़ुद अपने चमन पर बरसेगा, गैरों के चमन पर बरसेगा
हर शहर-ए-तरब पर गरजेगा, हर कसर-ए-तरब पर कड़केगा

ye abr hameshaa barsaa hai, ye abr hameshaa barsegaa
ye abr hameshaa barsaa hai, ye abr hameshaa barsegaa
ye abr hameshaa barsaa hai, ye abr hameshaa barsegaa
barsegaa, barsegaa, barsegaa…………………..

ये अब्र हमेशा बरसा है, ये अब्र हमेशा बरसेगा
ये अब्र हमेशा बरसा है, ये अब्र हमेशा बरसेगा
ये अब्र हमेशा बरसा है, ये अब्र हमेशा बरसेगा
बरसेगा, बरसेगा, बरसेगा...............

अस्रारुल हक मजाज

2 comments:

Anonymous said...

Jeet sahib
I am truly impressed by your hard work in presenting Urdu poetry in Hindi script. You have done a great job indeed. I wish you peace and happiness in your life.
Sincerely
Naim

Jeet said...

Thanks. I hope I can continue to give time to this task I have undertaken.

So far the transliteration is manual. But if I find time, I will try to automate it. :-)