Wednesday, October 10, 2007

पहले तुम वक्त के माथे की लकीरों से मिलो

pehle tum waqt ke maathe ki lakeeroN se milo

पहले तुम वक्त के माथे की लकीरों से मिलो
जाओ फुटपाथ के बिखरे हुए हीरों से मिलो

इश्रत-ए-हुस्त में मसरूफ तो रहते हो मगर
वक्त मिल जाये तो हम जैसे फकीरों से मिलो



फूल हँसा, रोयी शबनम
अपना अपना जज्बा-ए-गम

हुस्त वो है जो आये नज़र
दिल को जियाता, आँख़ को कम

बेकल उत्साही

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