Tuesday, October 30, 2007

तन्हा इश्क के ख़्वाब ना बुन

tanhaa ishq ke khwaab na bun


तन्हा इश्क के ख़्वाब ना बुन
कभी हमारी बात भी सुन

थोड़ा गम भी उठा प्यारे
फूल चुने हैं खार भी चुन

सुख़ की नींदें सोने वाले
मरहूमी के राग भी सुन

किता

तन्हाई में तेरी याद
जैसे एक सुरीली धुन

जैसे चाँद की ठंडी लौ
जैसे किरणों कि कन मन

जैसे जल-परियों का ताज
जैसे पायल की छन छन

नसीर काज़मी

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