shaaiir huN meraa kaam nahiiN falsafaa-raanii
साहिर हूँ मेरा काम नहीं फलसफा-रानी
खलती है मुझे ठोस नताइज की गरानी
इंसान की तस्वीर नयी हो के पुरानी
मतलूब मुझे हुस्न है और हुस्न-ए-मानी
अल्लाह के बंदों से मुझे बैर नहीं है
यानी मेरी दुनिया में कोई गैर नहीं है
कौमों की हिलायकत का हुनर देख रहा हूँ
ये रोज़-ओ-शब-ओ-शाम-ओ-सहर देख रहा हूँ
हफीज़ जलंधरी
Monday, December 17, 2007
साहिर हूँ मेरा काम नहीं फलसफा-रानी
Labels: Hafeez Jullundhari, Nazms, Poets, नज्म, शायर, हफीज़ जलंधरी
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